कम से कम शब्दोँ मेँ अधिकाधिक अर्थ को प्रकट करना एक कला है जोकि एक अच्छी रचना के लिए आवश्यक है। ऐसे शब्दोँ के प्रयोग से वाक्य–रचना मेँ संक्षिप्तता, सुन्दरता व गंभीरता आती है।
सबसे आगे रहने वाला— अग्रणी
जो कभी बूढ़ा न हो— अजर
जो कहा न जा सके— अकथनीय
जो बीत गया हो— अतीत
जो जीता न जा सके— अजेय
जो दिखाई न दे— अदृश्य
जो सहनशील न हो— असहिष्णु
जो पहले जन्मा हो— अग्रज
जो बाद मेँ जन्मा हो— अनुज
जो सदा से चला आ रहा हो— सनातन
जो इंद्रियोँ की पहुँच से बाहर हो— इन्द्रियातीत/अतीन्द्रिय
जो बात हृदय मेँ अच्छी तरह बैठ गई हो— हृदयंगम
जो पहले पढ़ा हुआ न हो— अपठित
जो कम बोलता हो— अल्पभाषी/मितभाषी
जो इंद्रियोँ द्वारा जाना न जा सके— अगोचर
जो छूने योग्य न हो— अछूत
जो छुआ न गया हो— अछूता
जो विदेश मेँ रहता हो— अप्रवासी
जो सामान्य नियम के विरुद्ध हो— अपवाद
जो पहले कभी नहीँ हुआ हो — अभूतपूर्व
जो धन को व्यर्थ खर्च करता हो— अपव्ययी
जो साधा न जा सके— असाध्य
जो कभी न मरे— अमर
कभी नष्ट न होने वाला — अनश्वर
जो बिना वेतन के कार्य करता हो— अवैतनिक
जिसका दमन न किया जा सके— अदम्य
जिसका मन कहीँ अन्यत्र लगा हो— अन्यमनस्क
जिसे किसी बात का पता न हो— अनभिज्ञ
जिसका पता न हो— अज्ञात
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