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*💥चर्चा में क्यों?*💥
✨हाल ही में किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, चीन ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और संबंधित निकायों में अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए पिछले एक दशक में कई कदम उठाए हैं।
*🍄संयुक्त राष्ट्र संघ का बजट (United Nations ...*🍄
*💥चीन द्वारा उठाए गए विभिन्न कदम*💥
चीन ने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) और संबंधित निकायों में स्वैच्छिक दान में लगभग 350 फीसदी की वृद्धि की है।
✨एक दशक में चीन ने सयुंक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण व गैर-संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षीय निकायों में अपना प्रभाव बढ़ाया है। अब वह अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (International Telecommunication Union – ITU) और संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन(United Nations Industrial Development Organisation -UNIDO) सहित ऐसे कई संगठनों में "प्रमुख स्थिति"( dominant position) में है ।
✨विश्लेषकों का मानना है कि चीन का ध्यान उन निकायों पर रहा है, जो चीनी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को स्थापित एवं तय करने में मदद करती हैं और बीजिंग की परियोजनाओं जैसे कि बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का समर्थन करती हैं।
✨वर्ष 2010 और 2019 के बीच संयुक्त राष्ट्र के सदस्य के रूप में इसका अनिवार्य योगदान 1096% बढ़ा है, जबकि स्वैच्छिक दान 2010 से 2019 के बीच $ 51 मिलियन से बढ़कर 172 मिलियन डॉलर हो गया है। इस प्रकार स्वैच्छिक दान में 346% की बढ़त देखी गयी है। अनिवार्य योगदान और स्वैच्छिक दान ने संयुक्त रूप से चीन को संयुक्त राष्ट्र का पांचवां सबसे बड़ा दाता बना दिया है, चीन की कुल फंडिंग 2010 में 190 मिलियन डॉलर से बढ़कर 2019 में 1.6 बिलियन डॉलर हो गई है।
*चीन का प्रमुख संस्थाओं पर प्रभाव*
✨अध्ययन में कहा गया है कि जब चीन, यूएनडीपी में 7.5 मिलियन डॉलर का योगदान देता है, तो यह विकास परियोजनाओं को लागू करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है।
चीन सीधे-सीधे संयुक्त राष्ट्र की 15 प्रमुख एजेंसियों में से चार का नेतृत्व करता है – आईटीयू( ITU),यूएनआईडीओ( UNIDO), खाद्य और कृषि संगठन (FAO) और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) । इसके अतिरिक्त चीन के प्रतिनिधि विश्व बैंक, आईएमएफ, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ), संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में मौजूद हैं ।
✨अध्ययन में कहा गया है कि आईटीयू दूरसंचार के लिए वैश्विक मानक तय करता है, जहां चीन की हुआवेई एक प्रमुख खिलाड़ी है। आईटीयू में चीनी प्रतिनिधि भी हैं जो दो कार्यकालों से सेवारत हैं। अध्ययन में कहा गया है कि चीन की कंपनी हुआवेई अफ्रीकी महाद्वीप, प्रशांत और दक्षिण व दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रों जैसे अभी तक कम पहुँच वाले बाजारों में प्रवेश का इच्छुक है ।
✨यूएनआईडीओ (UNIDO) का गठन विकासशील देशों में औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए किया गया था, लेकिन इसका महत्व अब कम हो गया है क्योंकि कई देशों ने इसे अनुपयोगी पाया है। इसके अतिरिक्त, चीन ने UNIDO को अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) से जोड़ दिया है, और अब UNIDO इसका समर्थन करता है।
✨अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO), जो हवाई नेविगेशन और सुरक्षा मानकों को निर्धारित करती है, में चीन ने ताइवान को किसी भी चर्चा में शामिल नहीं होने दिया है।
*💥भारत को क्या करना चाहिए ?*💥
✨भारत को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन(International Solar Alliance-ISA) एवं आपदा रोधी अवसंरचना हेतु गठबंधन (Coalition for Disaster Resilient Infrastructure- CDRI), जैसे अपने स्वयं के बहुपक्षीय समूहों का नेतृत्व कुशल तरीके से करना चाहिए ।
इसके अतिरिक्त, नियम-निर्माता के रूप में भारत को अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए ।
✨भारत को अपने हितों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र की प्रमुख एजेंसियों और निकायों में अपने स्वैच्छिक योगदान में वृद्धि करनी चाहिए ।
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