💁‍♂️👉मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी (Monoclonal Antibody Therapy)📚



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💥चर्चा में क्यों?💥


✨हाल ही में देखा गया है कि भारत दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचारों - इटोलिज़ुमैब (Itolizumab) एवं टोसीलिज़ुमैब (Tocilizumab) की कमी का सामना कर रहा है।



💥मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी (Monoclonal Antibody Therapy) क्या है?💥


✨हम जानते हैं कि एक स्वस्थ शरीर में, प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी बनाने में सक्षम होती है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कृत्रिम रूप से बनाए गए एंटीबॉडी हैं जिनका उद्देश्य शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली की सहायता करना है। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक विशिष्ट एंटीजन को लक्षित करते हैं ।

✨दूसरे शब्दों में कहें तो मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज उस व्यक्ति के शरीर से ली जाती है जो कोरोना संक्रमण के इलाज के बाद स्वस्थ हो चुका है। उसके शरीर में कोरोना संक्रमण से बचने के लिए एंटीबॉडीज बनते हैं। उन एंटीबॉडीज के माध्यम से लैब में मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज तैयार किया जाता है। संक्रमण के बाद स्वस्थ हो चुके लोगों के रक्त में लगभग एक सप्ताह के बाद ये एंटीबॉडी बनती है।

✨प्रयोगशाला में, श्वेत रक्त कोशिकाओं (white blood cells) को एक विशेष एंटीजन के संपर्क में लाने पर ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़’ का निर्माण किया जा सकता है।

✨कोविड -19 के मामले में, ‘मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़’ तैयार करने के लिए वैज्ञानिक प्रायः ‘SARS-CoV-2’ वायरस के स्पाइक प्रोटीन (spike protein) का उपयोग करते हैं। यह ‘स्पाइक प्रोटीन’ मेजबान कोशिका में वायरस के प्रवेश की सुविधा प्रदान करता है।


*मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का निर्माण कैसे होता है?*


✨‘एंटीबॉडीज़’ को अधिक मात्रा में निर्मित करने के लिए, एकल श्वेत रक्त कोशिका का प्रतिरूप (Clone) बनाया जाता है, जिसे एंटीबॉडी की समरूप प्रतियां तैयार करने में प्रयुक्त किया जाता है।

✨दूसरे शब्दों में कहें तो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी एक एंटीबॉडी की आइडेंटिकल कॉपी हैं जो एक विशिष्ट एंटीजन को लक्षित करती हैं। उल्लेखनीय है कि इस उपचार का उपयोग पहले इबोला और एचआईवी जैसे संक्रमणों के इलाज के लिए किया गया है।


*कोविड 19 के खिलाफ इसका प्रयोग*


✨स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कोविड-19 से उबरने वाले अधिकांश लोग वायरस के खिलाफ एक रक्षा तंत्र के रूप में एंटीबॉडी का उत्पादन करते हैं और अब वैज्ञानिकों ने पाया कि वे प्रयोगशाला में इन एंटीबॉडी का काफी उत्पादन कर सकते हैं।

✨अध्ययनों के अनुसार कोविड-19 के लिए यह 'एंटीबॉडी कॉकटेल ट्रीटमेंट' हल्के से मध्यम और गंभीर बीमारी वाले मामलों को बढ़ने से रोक सकता है जिसके लिए 70% मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है।


*इटोलिज़ुमैब*


✨बेंगलुरु स्थित बायोफार्मा कंपनी बायोकॉन ने सोराइसिस (psoriasis) नामक त्वचा रोग के इलाज के लिए इटोलिज़ुमैब विकसित किया है। भारत के औषधि महानियंत्रक ने जून 2020 में इसे देश में "प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग" के लिए अधिकृत किया था।

इटोलिज़ुमैब, सीडी 6(एक प्रोटीन जो टी-सेल के बाहरी झिल्ली में पाया जाता है) को लक्षित करता है। टी-सेल एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में केंद्रीय भूमिका निभाती है।


*💥टोसीलिज़ुमैब*💥


✨इस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी को गठिया रोग संबंधित विकारों के इलाज के लिए एफ़डीए(Food and Drug Administration) से अनुमोदन प्राप्त है। यह एंटीबॉडी भी IL-6 गतिविधि को रोकता है, और इसलिए गंभीर कोविड के लिए संभावित चिकित्सा के रूप में प्रस्तावित किया गया था।

✨कोरोना महामारी की शुरुआत में चीन और इटली के डाक्टरों द्वारा मरीज पर टोसीलिज़ुमैब दवा का इस्तेमाल किया गया। इस दवा को Roche द्वारा बाजार में Actemra के नाम से बेचा जाता है। ये Cytokine को रोक देती है जिसको इंटरल्यूकिन-6 या IL-6 कहा जाता है। गौरतलब है कि संक्रमण से लड़ने के लिए हमारा इम्यून सिस्टम साइटोकिन (Cytokine) नामक प्रोटीन बनाता है। कई बार ये प्रोटीन इतनी ज्यादा मात्रा में बनता है कि ये एंटीजन की बजाए स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला बोल देता है, यही साइटोकिन स्टॉर्म (Cytokine Storm) है।

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